अशोक चक्र गांधी जी ने सबसे पहले 1921 में कांग्रेस के अपने झंडे की बात की थी। इस झंडे को पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था। इसमें दो रंग थे लाल रंग हिन्दुओं के लिए और हरा रंग मुस्लिमों के लिए। बीच में एक चक्र था। बाद में इसमें अन्य धर्मो के लिए सफेद रंग जोड़ा गया। स्वतंत्रता प्राप्ति से कुछ दिन पहले संविधान सभा ने राष्ट्रध्वज को संशोधित किया। इसमें चरखे की जगह अशोक चक्र ने ली जो कि भारत के संविधान निर्माता डॉ॰ बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने लगवाया। इस नए झंडे की देश के दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने फिर से व्याख्या की। [6] 21 फीट गुणा 14 फीट के झंडे पूरे देश में केवल तीन किलों के ऊपर फहराए जाते हैं। मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में स्थित किला उनमें से एक है। इसके अतिरिक्त कर्नाटक के नारगुंड किले और महाराष्ट्र के पनहाले किले पर भी सबसे लम्बे झंडे को फहराया जाता है। [7] 1951 में पहली बार भारतीय मानक ब्यूरो (बी॰आई॰एस॰) ने पहली बार राष्ट्रध्वज के लिए कुछ नियम तय किए...
I am spreading the massage that the representative right in the democratic ideology constitutionally given to common voters by the people's commission provision & political institutions should be constituted by the people's card electing process. Political parties are not a rightful authority to distribute the representative right to the rich class of the society. It is harming the democracy as well as the constitution's aims to achieve the welfare state.